Yoga
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| Saturday, April 14, 2007 - 10:10 am: |
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Sadguru shri sainath maharaj ki jai.
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what is the password for the doc??
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password???? halli pravachana pan pwd protect vayla lagali tar... abhaktancha bhalatach dhasaka ghetalela distoy 
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अनावश्यक पोस्ट्स उडवली गेली आहेत
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Sach_b
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| Tuesday, May 22, 2007 - 8:28 am: |
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अनावश्यक पोस्ट्स उडवली गेली आहेत thanks Moderator_7 साईनाथ हा काही वाद्-विवादाचा विषय नाही...
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Bapucha
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| Friday, August 03, 2007 - 10:43 am: |
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ओम साई श्री साई जय जय साई राम सुख दायी है नाम तुम्हारो सावले घन शाम.
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Bapucha
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| Saturday, August 04, 2007 - 9:49 am: |
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सन्कट नाशन पीडा हारक नाम तुम्हारो साई देवा नाम तुम्हारो साई दास भक्तका रक्षण करना काज तुम्हारो साई
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Bapucha
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| Thursday, August 09, 2007 - 11:12 am: |
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मै ना जानु जप तप यागा सब कुछ मेरो साई देवा सब कुछ मेरो साई चिन्ता भय का नाश करेगा रखवाला श्री साई
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Naami
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| Friday, August 10, 2007 - 5:15 am: |
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पथ बिसरे को राह दिखाता दयावान गुरु साई, देवा दयावान गुरु साई जिस जिस पथ पर भक्त साई का वहा खडा है साई
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Naami
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| Friday, August 10, 2007 - 5:18 am: |
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ओम साई श्री साई जय जय साई राम सुख दायी है नाम तुम्हारो सावले घन शाम. सन्कट नाशन पीडा हारक नाम तुम्हारो साई देवा नाम तुम्हारो साई दास भक्तका रक्षण करना काज तुम्हारो साई मै ना जानु जप तप यागा सब कुछ मेरो साई देवा सब कुछ मेरो साई चिन्ता भय का नाश करेगा रखवाला श्री साई पथ बिसरे को राह दिखाता दयावान गुरु साई, देवा दयावान गुरु साई जिस जिस पथ पर भक्त साई का वहा खडा है साई
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Bapucha
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| Tuesday, August 14, 2007 - 9:17 am: |
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गुरुनाम आणि गुरुसहवास्| गुरुक्रुपा आणि गुरुचरण पायस्| गुरुमन्त्र आणि गुरुग्रुहवास्| महत्प्रयास प्राप्ती ही|| आमुचे वेद शास्त्र पुराण्| श्री सदगुरु चरण सेवन्| साई समर्थ आमुचा मन्त्र| यन्त्र तन्त्र हि ते एक्|| साई सच्चरित हरि ओम
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Bapucha
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| Wednesday, August 22, 2007 - 10:29 am: |
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गुरुसंगति गंगाजळ| क्षाळिते मळ करीते निर्मळ|| मनासम दुजे काय चंचळ| करिते निश्चळ हरिचरणी||
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Aschig
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| Monday, November 12, 2007 - 3:36 am: |
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19th chapter of gurcharitra mention 64 yoginis visiting him. Can anyone provide more details on that?
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Yuga
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| Thursday, December 20, 2007 - 8:44 am: |
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साथ है तेरे बाबा.. बस आगे बढता जा.. साथ है तेरे बाबा.. फिर काहेका डरना.. साईराम..साईराम... साईराम......... या BB वर कोणी अनुभव लिहित नाहीत का?
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Arch
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| Thursday, December 20, 2007 - 4:11 pm: |
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ज्या देशात मुलं दुधाशिवाय आहेत त्या देशात एक श्रीमंत ९६ किलो सोन्याच सिंहासन साईबाबांसाठी देतो. आणि ते सिंहासन accept केल जात ह्याला काय म्हणावे? 
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Yuga
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| Friday, December 21, 2007 - 11:09 am: |
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ज्याचे पदरी जितके असते तितके त्याला मिळते. कोणाला काही म्हणावेच कशाला? हेच तर प्रारब्ध असते ना..
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Zakasrao
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| Friday, December 21, 2007 - 12:04 pm: |
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आर्च त्याला अर्थिक विषमता म्हणतात. एखाद्या व्यक्तीला ते दान देण्याइतके पैसे मिळत आहेत तर बहुतांश लोकाना हातातोंडाची गाठ पडण्याची मारामारी. ऍक्सेप्ट करणारे का करणार नाहीत?? खरतर देवस्थनाला स्वतालाच बनवायचे होत अस सिन्हासन पण त्यावर बरीच टिका झाल्याने तो कार्यक्रम बन्द झाला. आता एखाद्या गडगन्ज भक्ताने दिले तर ते का नही स्वीकारणार??
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Yuga
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| Tuesday, December 25, 2007 - 8:46 am: |
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सहमत आहे झकासराव. अगदी बरोबर!
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Yuga
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| Tuesday, December 25, 2007 - 8:54 am: |
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आणखी एक - परिस्थीती प्रमाणे आपण १० - १०१ - ५०१ जे मनाला पटेल ते आपण दानपेटीत ठेवतो.. तो आपल्या भावनेचा एक भाग असतो. एखाद्द्याची चान्गली परिस्थीती आहे म्हणुन तो ते देत आहे, त्याची ईच्छा ही आहे आणी श्रद्धाही...! त्यावर एतकी चर्चा कशाला हवी?
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Zakki
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| Tuesday, December 25, 2007 - 5:50 pm: |
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मग आता ते सिंहासन जर देवस्थानाच्या मालकीचे झाले असेल तर त्याचा लिलाव करून आलेले पैसे गरीबांना वाटा. अगदी मुसलमान गरीबांना दिले तरी चालेल. पण गरीबांना किंवा ज्यांना औषधोपचारासाठी पैसे हवे असतील त्यांना द्या.
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Zakki
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| Wednesday, December 26, 2007 - 1:43 pm: |
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किंवा मग तिथे एक झक्कपैकी फाईव्ह स्टार हॉटेल काढा, हीटेड स्विमिंग पूल, कॅसिनो, बारबाला असलेला डान्सक्लब, अश्या सुविधा असलेले. म्हणजे भक्तगणांची चांगली सोय होईल. शिवाय भक्त नसलेल्यांची सुद्धा तिथे ये जा होऊन आणखी पैसे मिळतील.
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Yuga
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| Friday, December 28, 2007 - 5:20 am: |
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माझी बाबा वर श्रद्दा आहे. या BB वर येउन त्यात भर पडेल असा गैरसमज झाला होता. येथे काम ना धाम... कट्यावर बसून गप्पा माराव्या तसा प्रकार दिसतो आहे. जो तो उठतो आणि टिका करायला सज्ज होतो.. जे आपल्याला करता येईल ते सोडुन नको त्या चर्चा!!! देवाचे चिन्तन करा...तुम्हाला वाटतात त्या भावना त्याच्यापर्यन्त पोहोचतील.. उगाच त्रागा करु नका. झक्की काका, माफ़ करा पण अशी चर्चा बरी नाही वाटत मला...यापुढे या BB वर येउ नये असे वाटत आहे.
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