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Dineshvs
 
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 |  | Wednesday, March 29, 2006 - 4:06 pm:    |  
 
 
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  आंबाडीची कोवळी पाने घ्यावीत. ती कोरडी करुन कापुन घ्यावीत. तेलाची हिंग हळद घालुन फ़ोडणी करावी. त्यात हा पाला घालुन परतावा. शिजुन मिश्रण एकजीव होईपर्यंत परतावे. त्यात मीठ व लाल तिखट घालुन परतावे. परतत असताना पाला एकजीव करावा. मग त्यात गुळ किंवा खारकेची पुड घालावी. व गोळा होवु द्यावा.  चपाती भाकरी बरोबर छान लागते. तिखटाचे प्रमाण आवडीप्रमाणे. यात पाला ऊकडुन न घेतल्याने जास्त आंबटपणा येतो. भाजीसाठी शिजवलेल्या पाल्यातला थोडा पाला घेऊन चटणी केली तरी चालेल, पण ती कमी आंबट होते.  
 
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Tanutai
 
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 |  | Wednesday, March 29, 2006 - 9:12 pm:    |  
 
 
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 Thank You Dinesh. South indian stylene kashi karaychi tehi sangal ka? me hallich khalli tyat warun kachcha kanda ghalun kalavla hota pun chutney kashi keli hoti te kalla nahi.
 
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Dineshvs
 
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 |  | Thursday, March 30, 2006 - 12:57 pm:    |  
 
 
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  आंध्रमधे वरच्या पद्धतीनेच करतात फ़क्त ते तेल जास्त घालतात. तिखटहि जास्त असते. गुळ वा खारकाची पुड घालत नाहीत. यातहि कच्चा कांदा घालुन खातात.  
 
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Tanutai
 
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 |  | Thursday, March 30, 2006 - 5:27 pm:    |  
 
 
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 oh ok. karun baghtech. Thanks.
 
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| चोखंदळ ग्राहक | 
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| महाराष्ट्र धर्म वाढवावा | 
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| व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत | 
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|  पांढर्यावरचे काळे | 
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|  गावातल्या गावात | 
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|  तंत्रलेल्या मंत्रबनात | 
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|  आरोह अवरोह | 
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|  शुभंकरोती कल्याणम् | 
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|  विखुरलेले मोती | 
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|  हितगुज गणेशोत्सव २००६   | 
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